रह रहकर आंखों के सामने प्रीत का भावशून्य चेहरा आ रहा था।
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रह रहकर आंखों के सामने प्रीत का भावशून्य चेहरा आ रहा था।
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ऐसी स्थिति में इतना भावशून्य चेहरा अपने बीस साला कैरिअर में शायद उसने पहली बार देखा है।
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यह लिखा गया है कि एक निपुण जादूगर से एक अंक से एक भावशून्य चेहरा है, “अपनी पहली मुस्कान से पहले एक बच्चे का चेहरा.”
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आपने इन दोनों टेस्ट मैचों में गौर किया होगा कि जब भी भारत के विकेट गिरते थे या उसकी हालत खस्ता होती थी तो टीवी कैमरा ड्रेसिंग रूम के एक कोने में खड़े मोटे और थुलथुले इंसान पर जाकर टिक जाया करता था और तब भी उसका भावशून्य चेहरा ऐसा बना रहता मानो वह मैच से अलग-थलग है, जिसका मैदान पर चल रहे खेल से कोई लेना-देना नहीं है।